देश का बर्बाद होता भविष्य ?
आज बात करते हैं देश का भविष्य- बच्चों की!
आज कल एक बहुत गंदा ट्रेंड चला है, सरकारी नौकरी का, और IAS बनकर भ्रष्टाचार खत्म करने का!
दरअसल अभी तक के नतीजे बताते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म करने का जो भूत है वो दरअसल थोपा गया होता है, बांकी असली मकसद भ्रष्टाचार करना होता है, जैसे घूस-लेना और चोरी करना
अगर मकसद पैसा कमाना है तो ये गंदा और इतना छोटा रास्ता क्यों?
दरअसल बात है इनके मार्गदर्शन की, बड़े बड़े कोचिंग संस्थानों द्वारा की जा रही youtube मार्केटिंग के द्वारा इन्हें बुलाया जाता है और, ये लोग अपने खेत बेंच कर (गहने बेचकर )उम्र का वो क़ीमती हिस्सा (20-32) जुएं में लगा देते हैं वो भी उस जगह जहाँ सफलता की प्रतिशतता है (.00000001%)
आइये बात करते हैं Vikash divyakirti की-
ये महानुभाव बच्चों को श्री राम के चरित्र से कुछ सिखाने के बजाय स्वयं श्री राम को काल्पनिक सिद्ध करते हैं-
अगर ये महानुभाव ऐसी बातें नहीं करेंगे तो इनका धंधा नहीं खत्म हो जाएगा!
ये बच्चों के emotions का फायदा उठाते हैं, बच्चों को अपनी बातों से भक्त बना लेते हैं, फिर उनको नचाते हैं!
और जब बच्चे ऐडमिशन ले लेते हैं तो उनको 5 से 6 साल तक बेवक़ूफ़ बनाने के लिए ये उनको उपदेश देते हैं कि गांधी जी ने तो 25 साल तपस्या की तब देश आजाद हुआ, संघर्ष की तुलना की सीमा तो देखो- गांधीजी से, वाह-वाह ‘ दृष्टि’ के divyakirti जी,
एक बच्चा गांव में ज़मीन बेंच कर इनके कोचिंग की फीस भरता है, और अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पडाव (उम्र 20 से 32 ) को इनके कोचिंग में खत्म कर देता है,
भारत के भविष्य के साथ खेलने वाले ये लोग बच्चों को उनकी उम्र के महत्पूर्ण हिस्से (20 साल से 32 साल) के बीच केवल खोखले सपनों के अलावा कुछ नहीं दिखाते हैं, लाखों की संख्या में बच्चे आते हैं और कुछ (1 se 20,दृष्टि से) ही सिलेक्ट हो पाते हैं, बांकी बेरोजगार होकर सरकार को गाली देते हैं,
ये कोचिंग संस्थान (दृष्टि) वाले अपनी असफलता का ठीकरा सरकार पर फोड़ते हैं (कभी माध्यम को लेकर, कभी पदों को लेकर,) और 32 साल के बाद वो बच्चे किस लायक होकर निकलते हैं, कोई इतिहास का धुरंधर कोई भूगोल का, कोई तोते सी laxmikant रटे तोता इससे ज्यादा कुछ नहीं, और रही बात, बात करने का ढंग और व्यवहारिक ग्यान की वो विषयों को रटने से नहीं, उसको जीवन में व्यवहार में उतारने से आता है
अगर आप भारत के भविष्य के सच्चे हितैषी हैं तो कृपया बच्चों को ऐसे खोखले सपनों के भरोसे मत रखो क्योंकि भारत के हर बच्चे में millionor बनने की क्षमता है, बस उसे सही राह दिखाओ,
भारत का हर बच्चा “Elon mushk ” से ज्यादा होनहार है,
जब वह गांव की जमीन बेंच सकता है, और सबसे बड़ी बात उम्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा (20-32) दांव पर लगा सकता है, तो मैं मानता हूं वह कुछ भी कर सकता है, बशर्ते उसे मार्गदर्शन निःस्वार्थ मिले मिले, ना कि वह इन जैसे दलालों के चक्कर में पड़े जो अपने संस्थान का turn ओवर बढ़ाने तक केन्द्रित है |
दलालों का मुख्य उद्देश्य केवल स्वार्थ होता है, इसके लिए वो स्वप्न दिखाएंगे ||
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